बिन कहे शब्द सुने हैं कभी
बिन धागे लिबास बुने हैं कभी
बिन लिखी दास्ताँ पढ़ी है कभी
बिन माटी मूरत गढ़ी है कभी
बिन बहे आंसू देखे हैं कभी
बिन कंकड़ झील में तूफ़ान देखे हैं कभी
बिन धागे लिबास बुने हैं कभी
बिन लिखी दास्ताँ पढ़ी है कभी
बिन माटी मूरत गढ़ी है कभी
बिन बहे आंसू देखे हैं कभी
बिन कंकड़ झील में तूफ़ान देखे हैं कभी
उपरोक्त के मायने समझ आयेंगे पल में
गर माँ की ममता की सरिता में गोता लगाया है कभी ||
गर माँ की ममता की सरिता में गोता लगाया है कभी ||
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